Nawabganj : सन् 1980 में कांग्रेस मंत्री रहे चेतराम गंगवार से 900 वोटों से हारे थे मुख्तार अंसारी विधायकी चुनाव

सन् 1974 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मंत्री चेतराम गंगवार से लगभग 5 हज़ार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। इसके बाद 1977 के अगले चुनाव में भी वह मात्र 3 हजार वोटों से हार गए। और 1980 में तीसरे चुनाव में भी उनका मुकाबला मंत्री चेतराम गंगवार से ही हुआ और इस बार वह मात्र 900 वोटों से चुनाव हारे तो उनका नबावगंज का विधायक बनने का सपना चूर चूर हो गया। एडवोकेट मुख्तार अंसारी लगातार 40 साल तक क्षेत्र पंचायत सदस्य रहे। और कई वर्षो तक बक्फ्फ बोर्ड के सदस्य भी रहे। कई वर्षो तक वह कांग्रेस में रहे। बरेली की सांसद रहीं आबिदा बेगम और अकबर अहमद डंपी और सपा के भगवत सरन गंगवार के करीबियों में रहे।

शकील अंसारी नवाबगंज। गुरुवार को नबावगंज की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले मुस्लिम समाज के बड़े नेता एडवोकेट मुख्तार अंसारी ने दिल्ली के अस्पताल में आखिरी सांस ली। 70 के दशक में जब कांग्रेस की देश में तूती बोलती थी उसी दौर में बकालत के पेशे को छोड़कर राजनीति के मैदान में कूदने वाले एडवोकेट मुख्तार अहमद अंसारी ने बहुत कम समय में ही नबावगंज की राजनीति में अपना अलग मुकाम बना लिया। एक अच्छे वक्ता और सभी धर्मों के लोगों को साथ जोड़ने की उनकी कला ने ही उन्हें नबावगंज की जनता में इतना खास बना दिया कि निर्दलीय ही उन्होंने सन् 1974 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मंत्री चेतराम गंगवार के सामने विधानसभा चुनाव में ताल ठोक दी।
उस चुनाव में वह कांग्रेस के मंत्री रहे बाबू चेतराम गंगवार से लगभग 5 हज़ार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। इसके बाद 1977 के अगले चुनाव में भी वह मात्र 3 हजार वोटों से हार गए। और 1980 में तीसरे चुनाव में भी उनका मुकाबला मंत्री चेतराम गंगवार से ही हुआ और इस बार वह मात्र 900 वोटों से चुनाव हारे तो उनका नबावगंज का विधायक बनने का सपना चूर चूर हो गया। गुरुवार को राजनीति के इस योद्धा ने दिल्ली के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके छह बेटे और एक बेटी है।

img 20220825 wa00123202004203046749810 STAR NEWS BHARAT

लगातार 40 साल तक रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य

एडवोकेट मुख्तार अहमद अंसारी लगातार 40 साल तक क्षेत्र पंचायत सदस्य भी रहे। और वह कई वर्षो तक बक्फ्फ बोर्ड के सदस्य भी रहे। कई वर्षो तक वह कांग्रेस में रहे। पिछले कई वर्षो से वह सपा के भगवत शरण गंगवार के साथ उनके खास लोगों में शुमार थे। लगभग 86 वर्ष के हो चले मुख्तार अंसारी का स्वास्थय पिछले काफी समय से ठीक नहीं चल रहा था। उन्हें किडनी और फेफड़ों की समस्या के चलते दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन गुरुवार को सुबह उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। उनके करीबियों के मुताबिक वह गांव में होने वाले झगड़ों और आपसी विवादों को आसानी से निपटा देते थे। जिसके चलते ही उन्होंने सभी धर्मों के लोगों में अपनी एक अलग खास पहचान बनाई। उनके निधन पर पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार, रेलवे बोर्ड के सदस्य बीजेपी नेता भुजेंद्र गंगवार, सांसद प्रतिनिधि रवि गंगवार, पूर्व ब्लाक प्रमुख नरोत्तम दास मुन्ना, रविंद्र गंगवार, राजेंद्र गंगवार राजनीतिक लोगों के अलावा भारी संख्या में लोग जुटे।

देश में इमरजेंसी लगने पर मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के ऑफर को ठुकराया

सत्तर के दशक में देश में जब इमरजेंसी लागू हुई तो उस दौरान तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने नसबंदी कानून लागू कर दिया। उस समय यूपी में कांग्रेस सत्ता में थी और यहां के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। एक दिन पार्टी नेतृत्व के कहने पर मुस्लिम समाज में अपनी अलग पहचान रखने वाले एडवोकेट मुख्तार अंसारी को वह एमएलसी बनने का ऑफर लेकर उनके घर पहुंचे लेकिन उसूलों के पक्के मुख्तार अंसारी ने कांग्रेस मुख्यमंत्री के ऑफर को ठुकराते हुए निर्दलीय ही चुनाव लड़ना जारी रखा। वह बरेली की सांसद रहीं आबिदा बेगम और अकबर अहमद डंपी और सपा के भगवत सरन गंगवार के करीबियों में रहे।

Show More
Back to top button