Urse Razvi : आला हज़रत के उर्स में बिकेंगी दो लाख से ज्यादा किताबें

  • बिहार, बंगाल, असम, उत्तराखंड के छात्र खरीद रहे किताबें
  • इस्लामिया मैदान में तीन साल बाद लगा किताबों का मेला
  • छात्र बोले-उर्स-ए-रजवी में डिस्काउंट पर मिलती हैं किताबें
  • आला हजरत की लिखी किताबों की उर्स में अधिक मांग

बरेली, एसएनबी नेटवर्क। उर्स-ए-रजवी (Urse Razvi) के मौके पर हर साल इस्लामिया इंटर कालेज के मैदान में लगभग तीन साल से कोरोना के कारण किताबों का बाजार नहीं लग सका, मगर इस बार यहां बाजार सजना शुरू हो गया है। उर्स-ए-रजवी के पहले ही दिन दीनी इस्लामी किताबों में दिलचस्पी रखने वाले इन स्टालों पर पहुंचने लगे थे। इस साल करीब 50 दुकानें पर लगभग दो लाख के आसपास किताबें मंगाई गई हैं। सबसे अधिक मांग आला हजरत की लिखी किताबों की है।

उर्स-ए-रजवी में डिस्काउंट पर मिलती हैं किताबें

बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से आने वाले छात्र उर्स के पहले दिन स्टाल पर अपनी पसंद की किताबें ढूंढते मिले। उनका कहना है कि हर साल उर्स-ए-रजवी से किताबें लेकर जाते हैं, मगर दो साल से किताबों का बाजार नहीं लगने के कारण मायूसी थी। उर्स-ए-रजवी में किताबों के अधिक बिकने की वजह यह भी है कि इस दौरान जायरीन व छात्रों को किताबें 20 से 25 प्रतिशत के डिस्काउंट पर मिल जाती हैं। आला हजरत ने अपनी जिंदगी में एक हजार से अधिक किताबें लिखीं।

आला हजरत को था 55 से ज्यादा विषयों का ज्ञान

उर्दू, अरबी, फारसी, हिंदी, अंग्रेजी जैसी भाषाओं पर अच्छी पकड़ होने के साथ गणित और विज्ञान जैसे विषयों पर उन्हें महारत हासिल थी। कहा जाता है कि 55 से ज्यादा विषयों का उन्हें ज्ञान था। उनके इसी ज्ञान ने दुनिया भर में उनको शोहरत दिलाई। यही वजह कि उर्स के दौरान आला हजरत की किताबें सबसे अधिक बिकती हैं।

इन किताबों की हो रही अधिक मांग

आला हजरत की फतवा-ए-रजविया, हदाईक-ए-बख्शिश, रसाइले रिजविया, दौलतुल मक्किया, तफसीर-ए-रजवी, मनीउल असरा, एहकामे शरीयत, जामिया अल हदीस, कंजुल ईमान (कुरान का अनुवाद), हुसामुल हरमैन जैसी किताबें लोग अधिक मांग रहे हैं। इसके अलावा अन्य लेखकों की भी दीनी और इस्लामी किताबें मौजूद हैं।

तीन साल से उर्स के दौरान किताबों का बाजार नहीं लग पा रहा था। इस साल अच्छी बिक्री होने की उम्मीद है। सबसे ज्यादा मांग आला हजरत की लिखी किताबों की है। करीब 50 दुकानें मेले में लगी हैं। –हाफिज जमीर, दुकानदार

इस साल करीब दो लाख से अधिक किताबें सभी दुकानों पर मंगाई गई हैं। जिन गाड़ियों से किताबें आ रही हैं, उनका पास नहीं है। इसलिए पुलिस ने बाहर ही रोक दिया है। –अल जैद खान, दुकानदार

बिहार के सिवान जिले से उर्स में शिरकत करने आए हैं। हर साल उर्स में आते हैं। यहां किताबें डिस्काउंट पर मिल जाती हैं। आला हजरत की लिखी कई किताबें खरीदी हैं। –मोहम्मद आरफीन, छात्र

किच्छा से यहां आए हैं। उर्स के दौरान सस्ती किताबें मिलने से सबसे बड़ी राहत गरीब छात्रों को मिलती है। यही वजह है कि उर्स के दौरान सबसे अधिक दीनी इस्लामी किताबों की बिक्री होती है। –मौलाना कमर, छात्र

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