मुफ़्ती अज़म-ए-हिन्द,जिलानी मियां व रेहाने मिल्लत के कुल शरीफ की अदा की गई रस्म

  • हक़्क़नियत के अलमबरदार थे मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द
  • ख़ानक़ाही व सूफी विचार धारा की तब्लीग के लिए दो दर्जन से अधिक मुल्कों का दौरा किया था रेहाने मिल्लत ने

मुनीब हुसैन बरेली। आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के 104 वा उर्से रज़वी के दौरान आज मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द, मुफ़स्सिर-ए-आज़म व रेहाने मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मिया की सदारत, सय्यद आसिफ मियां व उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में अदा की गई। उलेमा ने सभी बुजुर्गों को खिराज़ पेश किया। वहीं आज भी ज़ायरीन की बढ़ी तादात में भीड़ दरगाह आला हजरत व उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में पहुँचती रही। सभी की एक ही ख्वाहिश की किसी तरह आला हज़रत की बारगाह पहुँच कर सलाम व फातिहा पेश कर दे। आज भी बड़ी तादात में दुनियाभर के अकीदतमंदों ने दरगाह पर गुलपोशी व चादरपोशी कर अपने हक़ में दुआए की।

आला हज़रत एक किताब का नाम नही बल्कि पूरी की पूरी लाइब्रेरी का नाम आला हज़रत है

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि उर्स के दूसरे दिन आज क़ुरान ख्वानी से आगाज़ हुआ। हाजी गुलाम सुब्हानी व नातख़्वा आसिम नूरी में मिलाद का नज़राना पेश किया। इसके बाद मुफ़्ती सलीम नूरी ने रेहाने मिल्लत को खिराज़ पेश करते हुए कहा कि आपने मसलक व मज़हब के प्रचार प्रसार के लिए हिंदुस्तान ही नही बल्कि दुनिया के दो दर्जन से अधिक मुल्कों का दौरा किया। आप खानदान के पहले शख्स थे जिन्होंने सबसे पहले एशिया के अलावा अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप आदि के मुल्कों का सफर किया। आपने हमेशा इंसानियत व लोगो की भलाई के लिए काम किये। अल्लामा हसन रज़ा पटनवी ने कहा कि मुफ्ती आज़म-ए-हिन्द हक़्क़नियत की मिआल थे आपने हिंदुस्तान भर की ख़ानक़ाहों को एक करने का काम किया। अपनी 92 साला ज़िंदगी मे लगभग 2 लाख फतवे और लगभग दो सौ किताबें लिखी। नसबंदी व फ़ोटो खिचाने को हराम करार दिया। लाउडस्पीकर पर नमाज़ को मना फरमाया। मुफ्ती आकिल रज़वी व मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ने कहा कि आपने 92 साला ज़िन्दगी में हमेशा हक़ बियानी की। शरीयत पर सख्ती से पाबंद रहे। कारी अब्दुल कादिर (मॉरीशस) ने अपने खिताब में कहा कि आला हज़रत एक किताब का नाम नही बल्कि पूरी की पूरी लाइब्रेरी का नाम आला हज़रत है। आला हज़रत ने लगभग 1400 किताबे लिखकर हिन्द ही नही बल्कि अरब जैसे मुल्क जहाँ से इस्लाम का उदय हुआ वहाँ के उस वक़्त के बड़े बड़े उलेमा को हैरत में डाल दिया। आज भी दुनिया हैरान है कि एक मज़हबी शख्सियत ने दीन ही पर नही बल्कि विज्ञान, अर्थशास्त्र, मैथमेटिक्स, कॉमर्स आदि विषयों पर भी अपनी कलम चलाई।
मौलाना स्वाले हसन, मुफ़्ती अय्यूब, मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम, मुफ़्ती मोइनुद्दीन, मौलाना कमर रज़ा, मौलाना मोहसिन रज़ा आदि ने भी खिताब किया।

देर रात की गई कुल शरीफ़ की रस्म अदायगी

सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर रेहाने मिल्लत व 10 बजकर 30 मिनट पर मुफ़स्सिर आज़म व देर रात मुफ्ती आज़म हिन्द के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा मौलाना अख्तर, कारी तय्यब ने शज़रा मुफ़्ती अय्यूब पढ़ा। खुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां व कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने की।
उर्स की व्यवस्था में उर्स प्रभारी राशिद अली खान, मौलाना ज़ाहिद रज़ा, परवेज़ नूरी, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, शाहिद नूरी, औरंगजेब नूरी, हाजी जावेद खान, नासिर क़ुरैशी, मंज़ूर रज़ा, आसिफ रज़ा, शान रज़ा, सय्यद फैज़ान रज़ा, यूनुस गद्दी, खलील क़ादरी, रईस रज़ा, तारिक सईद, मुजाहिद रज़ा, आसिफ नूरी, जुहैब रज़ा, आलेनबी, मोहसिन रज़ा, इशरत नूरी, ज़ीशान कुरैशी, हाजी अब्बास नूरी, सय्यद माजिद अली, सय्यद एज़ाज़, काशिफ सुब्हानी, फ़ारूक़ खान, साजिद नूरी, गौहर खान, जोहिब रजा, सबलू अल्वी, गफ़ूर पहलवान, सरताज बाबा, शहज़ाद पहलवान, आरिफ रज़ा, एडवोकेट काशिफ रज़ा, अजमल खान, समी खान, सुहैल रज़ा, शाद रज़ा, अरबाज़ रज़ा, अदनान खान, जावेद खान, अब्दुल माजिद, अयान क़ुरैशी, साकिब रज़ा, रोमान रज़ा, हाजी शकील नूरी, ज़हीर अहमद, फ़ैज़ कुरैशी, नईम नूरी, मुस्तक़ीम नूरी, इरशाद रज़ा, आसिम नूरी, अश्मीर रज़ा, फ़ैज़ी रज़ा, अल्ताफ रज़ा, सलमान रज़ा, सय्यद जुनैद, सय्यद फरहत, ताहिर रज़ा, शाहीन रज़ा, जावेद खान, नफीस खान, हाजी शारिक नूरी, अज़हर बेग, जुनैद रज़ा चिश्ती, अब्दुल वाजिद नूरी, यूनुस साबरी, शारिक बरकाती, फय्याज हुसैन, आरिफ नूरी आदि दिन रात जुटे है।

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