Pilibhit : राजीव कॉलोनी में बुजुर्ग की गला कटने से मौत

पीलीभीत। सुनगढ़ी थाना क्षेत्र की राजीव कॉलोनी निवासी रामसिंह (60) शनिवार की सुबह अपने घर से कुछ ही दूरी पर घायलावस्था में मिले। उनका गला कटा हुआ था और खून बह रहा था। लोग उन्हें जिला अस्पताल ले गए, जहां उपचार के दौरान ही उनकी मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या करने की बात सामने आ रही है।

छोटे भाई रमन पाल ने बताया कि राम सिंह पड़ोस के मकान में रहते थे। पिछले आठ साल से मानसिक रूप से बीमार थे। उनका इलाज चल रहा था। एक साल पहले उन्होंने ज्यादा दवा का सेवन कर लिया था, जिस कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इन दिनों उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। तीन दिन पहले इलाज के लिए बाहर ले जाने को कहा, मगर उन्होंने मना कर दिया। शनिवार सुबह वह रोजाना की तरह चाय पीने के बाद मोहल्ले में टहलने के लिए चले गए। सुबह करीब आठ बजे लोगों ने उन्हें घर के बाहर टहलते हुए भी देखा। इसके बाद कमरे के अंदर चले गए। साढ़े आठ बजे घर से करीब 20 कदम की दूरी पर कॉलोनी की मेन सड़क किनारे लोगों ने उन्हें खून से लथपथ देखा तो छोटे भाई रमन पाल को सूचना दी। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई।
सूचना पर एएसपी डॉ. पवित्र मोहन त्रिपाठी, सीओ सिटी सुनील दत्त, सुनगढ़ी इंस्पेक्टर मदन मोहन चतुर्वेदी ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। चारपाई और जमीन पर खून पड़ा था। पास में एक चाकू था। अलमारी में ब्लेड रखा था। परिवार वालों ने बीमारी से तंग आकर आत्महत्या करने की बात पुलिस को बताई है। भाई की तहरीर पर पुलिस ने राम सिंह का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट : ट्रैकिया कटने से हुई मौत

रामसिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छह सेटींमीटर लंबा, एक सेंटीमीटर चौड़ा गर्दन पर कटे का निशान है। गर्दन की ट्रैकिया कटने से खून काफी बह जाने के कारण मौत की पुष्टि हुई है। डॉक्टर का कहना है कि इस स्थिति में आत्महत्या और हत्या दोनों हो सकती हैं। इसके अलावा हाथ में खून गिरकर जमा हो गया था। वहां भी कटे का निशान नहीं मिला।

रामसिंह की मौत के मामले में आत्महत्या की बात सामने आई है। फिर भी गंभीरता से मामले की जांच कराई जा रही है।
दिनेश कुमार पी, एसपी

मुझे मत बचाना, मर जाने देना…

घायल रामसिंह को जब उनकी किरायेदार चंद्रकली ने देखा तो उन्होंने कहा- मुझे बचाना मत, मैं मर जाना चाहता हूं। सुनगढ़ी इंस्पेक्टर मदन मोहन चतुर्वेदी ने बताया कि यह बात उन्हें चंद्रकली ने बताई। इससे जाहिर होता है कि वह बीमारी से काफी परेशान थे। बावजूद इसके रामसिंह की अजीबोगरीब मौत कई सवाल छोड़ गई।
बुजुर्ग रामसिंह की मौत को पुलिस आत्महत्या करार दे रही है। परिवार वालों ने भी किसी पर कोई शक नहीं जताया। लेकिन कुछ ऐसे तथ्य हैं, जो मौत को जांच के घेरे में ला रहे हैं। यह अलग बात है कि परिवार वालों ने किसी पर कोई शक नहीं जताया। इससे पुलिस की राह आसान हो गई है।
बुजुर्ग रामसिंह ने अपने कमरे में चारपाई पर ब्लेड से गला काट लिया। जिससे उनके खून निकलने लगा। छटपटाहट में वह कमरे से निकले और कुछ दूरी पर जाकर बैठ गए। पुलिस आत्महत्या का आधार वहीं रहने वाली चंद्रकली के बयानों को बना रही है। सूत्रों के अनुसार चंद्रकली की पांच-छह साल की नातिन ने सबसे पहले रामसिंह को खून से लथपथ देखा था। बच्ची ने क्या देखा, क्या सुना। किसी को नहीं पता।
अमूमन लोग ब्लेड से कलाई की नस काटकर आत्महत्या करते हैं लेकिन ब्लेड से गला काटकर आत्महत्या करना अटपटा लग रहा है। फिर रामसिंह सुबह उठकर चाय पीकर टहलने गए थे। इसके बाद ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने ब्लेड से स्वयं अपना गला काट लिया। अगर काट भी लिया तो फिर कमरे से बाहर क्यों निकले। चारपाई पर पड़े खून के धब्बे यह बताने के लिए साफ हैं कि गला तो कमरे में ही काटा गया है।

अलमारी में कैसे पहुंचा ब्लेड

जांच पड़ताल करने पहुंची पुलिस को ब्लेड कमरे की अलमारी में रखा मिला। वहां से चारपाई करीब एक-डेढ़ फुट दूर थी। पुलिस भी मान रही है कि चारपाई पर बैठकर रामसिंह ने ब्लेड से गला काटा है। लेकिन गला काटने के बाद ब्लेड अलमारी में कैसे पहुंच गया इसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं है।

कॉलोनी में दो मकान और गांवों में जमीन है रामसिंह के नाम

राम सिंह के पुत्र अनमोल ने बताया कि राजीव कॉलोनी में पिता के नाम दो मकान हैं। दो कमरों और एक दुकान को किराए पर दे रखा है। गांव घियोना और मकतुल में खेती की जमीन है। दोनों गांव में करीब 15 बीघा से अधिक जमीन है। मां सीता देवी और एक बहन देवकन्या की मौत हो चुकी है। दो बहनें सजनी और सविता की शादी हो चुकी है। वह इकलौता लड़का है। अनमोल मोहल्ले में ही दोनों चाचा के साथ डेयरी पर काम करता है। पिता-पुत्र पड़ोसी के यहां खाना खाते थे।

हर मानसिक रोगी नहीं करता आत्महत्या : डॉ. पल्लवी

जिला अस्पताल की साइकोथेरेपिस्ट डॉ. पल्लवी का कहना है हर मानसिक रोगी आत्महत्या नहीं करता। अमूमन मानसिक रोगी जल्द उग्र हो जाते हैं। ऐसे में दो विचार उनके दिमाग में आते हैं। वह खुद को नुकसान पहुंचाते हैं या फिर दूसरे को। खुद को नुकसान पहुंचाने वाले रोगी डिप्रेशन के शिकार होते हैं। इस तरह के रोगी किसी एक जगह नहीं काटेंगे। वह कलाई की नस से लेेकर गला व शरीर के साथ शरीर के किसी पर हिस्से पर ब्लेड चला सकते हैं।

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