इंसाफ की राह में गुजर गई मां, तब जाकर कहीं 31साल बाद मिला इंसाफ

मुनीब हुसैन बरेली। चर्चित लाली एनकाउंटर मामले में सुनवाई के दौरान पिता की भी मौत हो गई वहीं बेटे को न्याय दिलाने के लिए मां नें हौसले से यह लंबी लड़ाई लड़ी और आखिरकार 31 साल बाद एनकाउंटर में मारे गए अपने मृत बेटे को इंसाफ दिला ही दिया। जिसमें कोर्ट ने आजीवन कारावास के साथ आरोपी दरोगा पर 20 हज़ार का अर्थदंड डाला। लेकिन इन सब जद्दोजहद के बीच मां का भी स्वर्गवास हो गया लेकिन मां की अंतिम इच्छा पूरी हो चुकी है। यह कहना था मुकेश के भाई अनिल जौहरी का आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तो उनकी आखें छलक पड़ीं। रुंधे गले से बोले, आज भाई को इंसाफ और मेरी मां कों चैन मिला होगा।IMG 20230331 WA0011 STAR NEWS BHARAT

क्या था पूरा मामला

मामला थाना कोतवाली में तैनात रहे दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने 23 जुलाई 1992 को मुकेश जौहरी उर्फ लाली को एनकाउंटर में मार गिरायां था। जिसमें दारोगा ने अपने बचाव के लिए वारदात को मुठभेड़ दर्शाकर मृतक लाली पर लूट और जानलेवा हमला करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करा दिया। दारोगा ने रिपोर्ट लिखाई कि वह वारदात की शाम 7:45 बजे बड़ा बाजार से घरेलू सामान खरीद कर लौट रहे थे, तभी तीन लोगों को पिंक सिटी वाइन शाप के सेल्समैन से झगड़ते हुए देखा था। जिसके बाद एक शख्स ने जबरन दुकान से शराब की बोतल उठाई तो दूसरे ने दुकानदार के गल्ले में हाथ डाला। वही सेल्समैन के विरोध करने पर तीसरे शख्स ने सेल्समैन पर तमंचा तान दिया। लूट की आशंका के भय से दारोगा युधिष्ठिर सिंह ने आरोपियों को ललकारा तो एक ने उन पर फायर किया। जिससे वह बाल-बाल बचे। दारोगा ने पुलिस को बताया कि अगर वह गोली नहीं चलाते तो बदमाश उनकी जान ले सकते थे। उन्होंने अपनी आत्मरक्षा में एक बदमाश पर अपनी सरकारी रिवाल्वर से गोली मारी। जिस बदमाश को गोली लगी उसका नाम मुकेश जौहरी उर्फ लाली बताया। वहीं उन्होंने बताया कि बाकी दोनों आरोपी फरार हो गए। उधर मुकेश चौधरी उर्फ लाली की अस्पताल ले जाते समय मृत्यु हो गई। उसके बाद दरोगा नें थाना कोतवाली में लूट व जानलेवा हमला करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया। जिसके बाद मां नें दरोगा की कहानी को झूठा बताते हुए आरोपी दरोगा पर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की। जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा। 5 साल तक मृतक की मां ने पैरवी की। वही आखिरकार मृतक की मां को इंसाफ तो मिल गया। लेकिन मां का स्वर्गवास हो चुका है। आरोपी दरोगा युधिष्ठिर सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं उन पर आजीवन कारावास के साथ ₹20000 का आर्थिक दंड कोर्ट नें डाला हैं।

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