एतकाफ में बैठने वाले को मिलता है दो हज और एक उमरे का सवाब

माह-ए-रमजान इस वक्त आखिरी पड़ाव पर है। वैसे तो रमजान का पूरा महीना इबादत का है, लेकिन महीने के आखिरी दिनों में कोई भी अल्लाह की रहमत से महरूम नहीं रहना चाहता।
इस असरे का सबसे बेहतरीन अमल एतकाफ है। उलेमा का कहना है कि एक आदमी एतकाफ में बैठ जाए तो पूरी बस्ती का हक अदा हो जाता है। अल्लाह उस बस्ती पर आने वाले अजाबों को हटा लेता है। एतकाफ में बैठने वाले को दो हज और एक उमरे का सवाब मिलता है।IMG 20220422 181933 scaled STAR NEWS BHARAT
मुफ़्ती मोहम्मद इरशाद कदीरी ने बताया कि रमजान के महीने में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पाबंदी के साथ एतकाफ किया। इसी वजह से इस अमल का बहुत ऊंचा दर्जा है। अल्लाह मोमिन के सारे गुनाहों को माफ कर देता है और नेकियों में इजाफा होता है। जुमा के दिन मग़रिब की नमाज़ से पहले मर्द मसजिदों और औरतें घरों में एतकाफ में बैठी हैं। ईद का चांद दिखाई देने पर इन लोगों का एतकाफ पूरा होगा।

क्या है एतकाफ

इसमें व्यक्ति मसजिद के एक कोने में पर्दा लगा अल्लाह की इबादत करता है। दस दिनों तक वह उठते, बैठते, खाते पीते और यहां तक कि सोते हुए भी 24 घंटे इबादत में मश्गूल रहता है। एतकाफ में व्यक्ति कुरान पाक की तिलावत करता है, नफिल नमाजें अदा करता और तस्बीह पढ़ता है। किसी से मिलता-जुलता नहीं है।17 1437135661 shutterstock 221361295 1 STAR NEWS BHARAT

एतकाफ की शर्तें

-एतकाफ में बैठने वाला मोमिन रोजा जरूर रखें।
-समझ दुरुस्त होना। पागल और सूझ-बूझ दुरुस्त न रखने वाला इंसान नीयत नहीं कर सकता।
-मसजिद के अलावा मर्दों का एतकाफ कहीं और जायज नहीं है।
-शरीर का पाक होना। नापाकी की हालत में मसजिद में ठहरना जायज नहीं है।
-किसी महिला के एतकाफ पर बैठने के लिए शौहर की इजाजत जरूरी है।

एतकाफ को तोड़ने वाली बातें

-बिना वजह मसजिद से बाहर निकलना
-नशीली चीज खानें से बुद्धि खो देना या पागल हो जाना
-एतकाफ की नीयत खत्म कर देना।

एतकाफ के फायदे

-फिजूल की बातचीत, खानपान और नींद से दूर रहने का प्रशिक्षण।
-अल्लाह की इबादत, कुरान की तिलावत, तौबा की आदत
-आदमी को अपने आप की समझ का मौका मिलता है।
-एतकाफ से व्यक्ति गुनाहों से दूर रहता है
एतकाफ में बैठने वाले को दो हज और एक उमरे का सवाब मिलता है।

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