Pilibhit: नवरात्रि में यशवंतरी देवी मंदिर में उमड़ती है भक्तों की भीड़, जानें पूरा इतिहास

रिपोर्ट- सृजित अवस्थी

पीलीभीत. शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार, देवी शक्ति के विभिन्न स्वरूपों को पूजते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में मां यशवन्तरी देवी मंदिर का एक मंदिर है जिसकी काफी अधिक मान्यता है. नवरात्रि के दिनों में यहां दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा-अर्चना को आते हैं. आखिर क्यों मां यशवन्तरी देवी मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी है. आइए जानें…

मंदिर के महंत पं. राजेश बाजपेयी ने बताया कि वे अपने परिवार की 8वीं पीढ़ी से हैं, जो कि इस समय मंदिर में महंत हैं. उन्‍होंने बताया कि मां यशवन्तरी देवी का मंदिर करीब 800 वर्ष पुराना है. वहीं, उत्तर प्रदेश गजेडियर के अनुसार मंदिर का इतिहास लगभग 400 वर्ष पुराना है.

क्या है मंदिर का इतिहास?
मंदिर के महंत पं. राजेश बाजपेयी ने बताया कि पौराणिक काल में पीलीभीत के चारों तरफ पीली मिट्टी से बनी एक दीवार हुआ करती थी, जिसके आधार पर शहर का नाम पीलीभीत पड़ा. वहीं, इसके चार द्वार हुआ करते थे. उत्तरी द्वार पर नकटा नाम का एक राक्षस पीलीभीत में आने-जाने वाले मवेशी और लोगों को अपना शिकार बनाता था. मां यशवन्तरी देवी काली का स्वरूप थीं. उन्होंने नकटा राक्षस का वध कर पीलीभीत को बचाया था. ऐसे में मां यशवंतरी देवी ने राक्षस का वध करने के बाद जहां विश्राम किया था और जल ग्रहण किया था, वहां इस मंदिर की स्थापना की गई है. आज भी मंदिर में वध में प्रयोग किए गए शस्त्र और जल सेवन करने वाला पात्र मौजूद हैं, जिसकी यहां आने वाले श्रद्धालु दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं.

ऐसे करें मां यशवन्तरी के दर्शन
मां यशवन्तरी देवी मंदिर पीलीभीत शहर के नकटादाना चौराहे के समीप स्थित है. उत्तराखंड की ओर से आने वाले लोग नकटादाना चौराहे से सीधे मंदिर जा सकते हैं. वहीं बरेली, लखनऊ, शाहजहांपुर की ओर से आने वाले लोग नौगवां चौराहा से गौहनिया चौराहे के रास्ते नकटादाना चौराहे पहुंच कर मंदिर पहुंच सकते हैं.

Yashwantri Devi Temple

Tags: Navratri, Navratri festival Pilibhit news

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