केदारनाथ धाम के पास दरका बर्फ का पहाड़, देखें हिमस्खलन का भयावह मंजर
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में एक बार फिर से बर्फ का पहाड़ दरका है. हिमालय क्षेत्र में केदारनाथ मंदिर के पास आज यानी शनिवार सुबह हिमस्खलन हुआ और ग्लेशियर से बर्फ का पहाड़ भरभरा कर भयानक तरीके से गिरा. मगर राहत की बात यह रही कि इस एवलांच यानी हिमस्खलन में केदारनाथ मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा. इस बात की जानकारी श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने दी.
बताया जा रहा है कि केदारानाथ धाम के पास पीछे वाले इलाके में हिमस्खलन की घटना होने के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है. मौसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. हालांकि, राहत की बात है कि इस हिमस्खलन से मंदिर के साथ-साथ किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है. बता दें कि केदारनाथ धाम के पास पिछले सप्ताह भी हिमस्खलन का भयावह मंजर दिखा था. हालांकि, उस दिन भी कोई नुकसान नहीं हुआ था.
समाचार एजेंसी एएनआई ने केदारनाथ धाम इलाके में हिमस्खलन का वीडियो शेयर किया है, जिसमें उसका भयावह मंजर देखा जा सकता है. वीडियो में देखा जा सकता है कि केदारनाथ धाम के पास के इलाके में स्थित पहाड़ियों से बर्फ के पहाड़ भरभराकर कितनी तेज गति से नीचे लुढ़क रहे हैं. बता दें कि शुक्रवार को ही पहाड़ दरकने की वजसे चार धाम की यात्रा पर गए बिहार के चार लोग उत्तरकाशी में फंस गए थे.
#WATCH | Uttarakhand: An avalanche occurred this morning in the Himalayan region but no damage was sustained to the Kedarnath temple: Shri Badrinath-Kedarnath Temple Committee President, Ajendra Ajay pic.twitter.com/fyi2WofTqZ— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 1, 2022
गौरतलब है कि हिमस्खलन की चपेट में आने वाले क्षेत्र को चोराबाड़ी ग्लेशियर कैचमेंट एरिया के रूप में जाना जाता है. यह स्थान केदारनाथ मंदिर परिसर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह वही हिमालय की हिमाच्छादित झील है, जो 2013 में उफान पर थी और उत्तराखंड में सबसे विनाशकारी बाढ़ का कारण बनी थी. जून 2013 में उत्तराखंड में असामान्य वर्षा हुई थी, जिससे चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया और मंदाकिनी नदी में जलस्तर विनाशकारी स्तर पर पहुंच गया. इस भयावह बाढ़ ने उत्तराखंड के बड़े हिस्से को प्रभावित किया था और बड़े पैमाने पर केदारनाथ घाटी में जान माल का सर्वाधिक नुकसान हुआ था. इस घटना में केदारनाथ मंदिर परिसर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था, मगर मुख्य मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा था.